Pages

Saturday, 3 December 2011

चाँद रह गया बिना चांदनी के

चाँद रह गया बिना चांदनी के
 तारे चाँद से खता करते है
ये मिट्टी से बने प्यासे लोग है की
जरुरत पर तवायब से दुआ करते है

सोचता हु की जी लू ये उसकी सताई जिंदगी
 पर यहाँ तो फरिस्ते भी खता करते है
बाते रह गयी सिर्फ सुर्ख होंटो की
मरुस्थल में भी अश्क बहा करते है
 ये मिट्टी से .........................

महोब्बत की तिजारतो में कट गयी जिंदगी
अब नफरतो के समंदर हँसा करते है
 बात बेशक में तुम्हारी करता हुक्योंकि
अब किस्मत-ए-जिंदगी भी कुछ न अता करते है
ये मिट्टी से ........................

No comments:

Post a Comment